Posts

Showing posts from September, 2020

Chapter 1, Shloka 6.

Image
  अध्याय 1, श्लोक   6    युधामन्युश्र्च विक्रान्त उत्तमौजाश्र्च वीर्यवान् | सौभद्रो द्रौपदेयाश्र्च सर्व एव महारथाः || ६ ||   युधामन्यु , तसेच पराक्रमी उत्तमौजा, शक्तिशाली सुभद्रा पुत्र तसेच द्रोपदी चे पुत्र हे सर्व महारथी आहेत .   Yudhamanyu and great fighter Oottamauja, powerful son of Subhdra and Draupadi these all are great worrier.   युधामन्यु , शक्तिशाली उत्तमौजा , सुभद्रा का पुत्र तथा द्रोपदी के पुत्र - ये सभी महारथी हैं   ।

Chapter 1, Shloka 5.

Image
                                 अध्याय  1, श्लोक   5 धृष्टकेतुश्र्चेकितानः   काशिराजश्र्च   वीर्यवान्  | पुरुजित्कुन्तिभोजश्र्च   शैब्यश्र्च   नरपुङ्गवः  ||  ५  || यांच्या   सोबतीने  धृष्टकेतु ,  चेकितान ,  काशिराज ,  पुरुजित् ,  कुन्तिभोज   तसेच   शैब्य     अ से   महान   शक्तिशाली   योद्धे   सुद्धा   आहेत .   With them there are great warriors Dhrushtaketu, Chekitan, Kashiraj, Purujit, Kuntibhoj as well as Sheibya is there. इनके   साथ   ही   धृष्टकेतु ,  चेकितान ,  काशिराज ,  पुरुजित् ,  कुन्तिभोज   तथा   शैब्य   जैसे   महान   शक्तिशाली   यो

Chapter 1, Shloka 4.

Image
            अध्याय  1, श्लोक   4                                         अत्र   श्रूरा   महेष्वासा   भीमार्जुनसमा   युधि  | युयुधानो   विराटश्र्च   द्रुपदश्र्च   महारथः  ||  ४  || या सैन्यात भीम आणि अर्जुना सारखे शूर, धनुर्धर असे युयुधान, विराट आणि द्रुपद आहेत . In this battle there are great archers like Bhima –  Arjuna. Yuyudhana, Virata and Drupada the great warrior  are there. इस   सेना   में   भीम   तथा   अर्जुन   के   समान   युद्ध   करने   वाले   अनेक   वीर   धनुर्धर   हैं  -  यथा   महारथी   युयुधान ,  विराट   तथा   द्रुपद  हैं ll                                       ...

Chapter 1, Shloka 3.

Image
  अध्याय  1   श्लोक  3 पश्यैतां   पाण्डुपुत्राणामाचार्य   महतीं   चमूम्  | व्यूढां   द्रुपदपुत्रेण   तव   शिष्येण   धीमता  ||  ३  || ( दुर्योधन   म्हणाला  )  आचार्य  !  द्रुपद   पुत्र   आणि   तुमच्या   बुद्धिमान   शिष्याने  (  धृष्टधुमन  )  व्य्हूह   रचून   केलेली   हि   मोठी   पांडवसेना   पहा .   Teacher ! look at this huge army of Pandu Sons,  organised by your brilliant student, the son of Drupada.   हे   आचार्य !  पाण्डुपुत्रों   की   विशाल   सेना   को   देखें ,  जिसे   आपके   बुद्धिमान्   शिष्य   द्रुपद   के   पुत्र   ने   इतने   कौशल   से   व्यवस्थित   किया.  

Chapter 1, Shloka 2

Image
  अध्याय  1, श्लोक   2 सञ्जय   उवाच दृष्ट्वा   तु   पाण्डवानीकं   व्यूढं   दुर्योधनस्तदा  | आचार्यमुपसङ्गम्य   राजा   वचनमब्रवीत्  ||  २  || संजय म्हणाला : पांडवांचे व्यूहरचनेने उभे राहिलेले सैन्य पाहून राजा दुर्योधन आपल्या गुरुं जवळ    जाऊन असे म्हणाला; Sanjay Said : King Duryodhana saw the assembled army Pandu Sons, he went to his teacher and spoke; संजय   ने   कहा  -    पाण्डुपुत्रों   द्वारा   सेना   की   व्यूहरचना   देखकर   राजा   दुर्योधन   अपने   गुरु   के   पास   गया   और   उसने   ये   शब्द   कहे   ।

Chapter 1, Shloka 1

Image
  अध्याय  1, श्लोक   1 धृतराष्ट्र   उवाच धर्मक्षेत्रे   कुरुक्षेत्रे   समवेता   युयुत्सवः  | मामकाः   पाण्डवाश्र्चैव   किमकुर्वत   सञ्जय  ||  १  ||   धृतराष्ट्र   म्हणाले  :  संजया,   पुण्यभूमिस्वरूप   अश्या   या   कुरुक्षेत्रावर   युद्धासाठी   एकत्र   झालेल्या   माझ्या   पुत्रांनी   तसेच   पंडूच्या   पुत्रांनी   काय   केले  ?   Dhrutarashtra said : What did my sons and Pandu’s sons did in Kuru field a field of law, on arriving for battle of fight, Sanjaya ?   धृतराष्ट्र   ने   कहा  --  हे   संजय  !  धर्मभूमि   कुरुक्षेत्र   में   युद्ध   की   इच्छा   से   एकत्र   हुए   मेरे   तथा   पाण्डु   के   पुत्रों   ने   क्या   किया  ?

BHAGAVAD GEETA -

Image
    सर्व   रसिक   वाचक ,  मित्र - मैत्रिणींनो , माझ्या   या   ब्लॉग   वर   तुम्हाला   नियमितपणे   माझ्या   मराठी -  हिंदी   कविता ,  गीते   आणि   काही   मराठी   कथा   वाचायला   मिळतील .  पण   याच   सोबत   मी   आज   पासून  " भागवत   गीते "  तील   संस्कृत   वचन   देऊन   त्यांचा   अर्थ   मराठी ,  इंग्रजी   आणि   हिंदी   या   तीन   भाषांमध्ये   देणार   आहे .  खरं   म्हणजे  " भागवत   गीते "  च   कुतूहल   आणि   जिज्ञासा   सर्व   भारतीयांना   असते / आहे .  पण   दर - रोजचे   धकाधकीचे   जीवन ,  ओढाताण   तसेच   मूळ   गीतेची   सुंस्कृत   भाषा ,  आकार   यात   गीता   समजून   घेणं   राहुन   जात .  अशी   हि   गीता   आपण   ट...