Chapter 1, Shloka 19


 

अध्यायश्लोक 19

 

घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत् |
नभश्र्च पृथिवीं चैव तुमुलोSभ्यनुनादयन् || १९ ||

आकाश आणि पृथ्वी दणाणून सोडणाऱ्या त्या कल्लोळाने दुर्योधनाच्या पुत्रांची हृदये विदीर्ण झाली

This thundering sound, resounding through earth and sky, rent the hearts of the sons of Dhritarashtra.

 

इन विभिन्न शंखों की ध्वनि कोलाहलपूर्ण बन गई जो आकाश तथा पृथ्वी को शब्दायमान करती हुई धृतराष्ट्र के पुत्रों के हृदयों को विदीर्ण करने लगी |

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